Braj 84 kos Yatra: क्या है चौरासी कोस परिक्रमा का महत्व, कब कब की जाती है यह यात्रा |

ब्रज 84 कोस यात्रा हिंदू धर्म की सबसे पवित्र यात्राओं में से एक मानी जाती है। लगभग 252 किलोमीटर (84 कोस) की यह परिक्रमा भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थलों से होकर ले जाती है। मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना, और नंदगांव जैसे स्थान इस यात्रा के मुख्य पड़ाव हैं। यह यात्रा केवल शारीरिक नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और भक्ति की यात्रा है।

1. 84 कोस परिक्रमा क्या है?

84 कोस” एक पारंपरिक भारतीय दूरी माप है—1 कोस लगभग 3 किलोमीटर के बराबर होता है। इस प्रकार ब्रज की यह परिक्रमा करीब 252 किलोमीटर की होती है, जो पूरे ब्रज क्षेत्र को घेरती है—वह भूमि जहाँ श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल में लीलाएँ की थीं।

यह यात्रा आमतौर पर 7 से 21 दिनों में पूरी की जाती है, भक्तों की श्रद्धा और समय के अनुसार। इसमें 200 से अधिक पवित्र स्थलों का दर्शन शामिल है—जैसे मंदिर, कुंड, वन, और पर्वत।

यह परिक्रमा अधिकतर पैदल की जाती है, जिसे तप और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। भक्त भजन-कीर्तन करते हुए, श्रीकृष्ण नाम का संकीर्तन करते हुए इस पावन भूमि में चलते हैं। For Booking https://www.mathuracabs.com/

2. 84 कोस परिक्रमा का समय:

हालाँकि यह यात्रा साल भर की जा सकती है, लेकिन कुछ विशेष महीने और पर्व इस यात्रा के लिए अधिक शुभ माने जाते हैं।

सर्वश्रेष्ठ समय:

  • चैत्र (मार्च–अप्रैल)
  • वैशाख (अप्रैल–मई)
  • कार्तिक (अक्टूबर–नवंबर) – सबसे पावन और लोकप्रिय समय

विशेष अवसर:

  • गुरु पूर्णिमा
  • शरद पूर्णिमा
  • होली (बरसाना और नंदगांव में विशेष)
  • जन्माष्टमी

कार्तिक मास में यह यात्रा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इस समय देशभर से संतों के नेतृत्व में हजारों श्रद्धालु ब्रज क्षेत्र में परिक्रमा करने आते हैं।

3. 84 कोस परिक्रमा का पौराणिक महत्व:

ब्रज भूमि केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि आध्यात्मिक इतिहास है। मान्यता है कि श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला की भूमि ब्रज में ही है—चाहे वह उनका जन्म हो, बाल लीलाएँ, रास लीला, गोवर्धन धारण, या गोकुल-नंदगांव की दिनचर्या।

मुख्य धार्मिक मान्यताएँ:

  • मथुरा: श्रीकृष्ण का जन्मस्थान
  • वृंदावन: रास लीला और बंसी बजाने की भूमि
  • गोवर्धन: गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र के प्रकोप से रक्षा की
  • बरसाना: श्री राधा रानी की जन्मभूमि
  • नंदगांव: श्रीकृष्ण की पालन स्थली

इस परिक्रमा को करने से पाप नाश, चित्त शुद्धि, और भगवत भक्ति की प्राप्ति होती है। संतों जैसे सनातन गोस्वामी, वल्लभाचार्य, और नारायण भट्ट ने इस यात्रा की महिमा को अपने ग्रंथों में वर्णित किया है।

4. 84 कोस यात्रा सूची: मुख्य तीर्थ स्थल

यहाँ उन प्रमुख स्थलों की सूची दी जा रही है जो इस परिक्रमा में आते हैं:

मुख्य नगर और गाँव:

  1. मथुरा – श्रीकृष्ण का जन्मस्थान
  2. वृंदावन – सेवाकुंज, निधिवन, मंदिर
  3. गोकुल – नंद भवन, यमुना घाट
  4. महावन – श्रीकृष्ण की प्रारंभिक लीलाएँ
  5. गोवर्धन – गिरिराज जी की परिक्रमा, कुसुम सरोवर
  6. बरसाना – श्री राधारानी का जन्मस्थान
  7. नंदगांव – नंद बाबा का गाँव
  8. राधा कुंड और श्याम कुंड – अत्यंत पवित्र जलस्थल
  9. बलदेव (दाऊजी) – श्री बलराम जी का मंदिर
  10. काम्यावन – लीला स्थल
  11. प्रीति सरोवर – प्रेम की ऊर्जा का केंद्र
  12. भांडीरवन – जहाँ ब्रह्मा जी ने राधा-कृष्ण का विवाह किया
  13. तेर कदंब – गोस्वामीजी की साधना भूमि
  14. रमन रेती – श्रीकृष्ण की रेत में खेलने की भूमि

5. अन्य प्रमुख स्थान:

  • रासखान समाधि
  • अष्ट सखी मंदिर
  • वंशीवट
  • यमुना घाट
  • कोकिलावन
  • चरण पहाड़ी (श्रीकृष्ण के पदचिन्ह)

प्रत्येक स्थान किसी न किसी लीला जुड़ा हुआ है। कई श्रद्धालु इन स्थलों पर रात्रि विश्राम कर वहाँ के स्थानीय मंदिरों में आरती और पूजा में भाग लेते हैं।

6. आज भी क्यों करते हैं लोग 84 कोस यात्रा?

आज की व्यस्त जीवनशैली में भी लोग यह कठिन यात्रा करते हैं, क्योंकि यह केवल एक धार्मिक कार्य नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है।

  • यह शुद्धिकरण का माध्यम है—मन, शरीर और आत्मा का।
  • यह वैराग्य, विनम्रता, और अनुशासन को बढ़ावा देती है।
  • यह भक्ति परंपरा से जुड़ने का अवसर है।

हर वर्ष लाखों श्रद्धालु—चाहे वृद्ध हों या युवा—इस यात्रा को प्रेम से करते हैं, श्रीकृष्ण की स्मृति और उनके चरणों में श्रद्धा लेकर।

7. अंतिम विचार:

84 कोस परिक्रमा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण और राधा रानी की स्मृति में की जाने वाली एक भक्तिपूर्ण यात्रा है। यह एक ऐसा अनुभव है जहाँ आप हर वृक्ष, हर घाट, और हर मंदिर में भगवान की उपस्थिति को महसूस करते हैं।

अगर आप कभी श्रीकृष्ण को केवल ग्रंथों में नहीं बल्कि जीवन में अनुभव करना चाहते हैं, तो ब्रज यात्रा आपके लिए एक बुलावा हो सकती है।

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